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Elite classes के तरफ से दो शब्द -

 सफलता की कुंजी हैं इलाइट संस्थान-




कोचिंग संस्थान किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए छात्रों को तैयार करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वे छात्र को इस तरह से तैयार करते हैं कि वह न सिर्फ समय के अंदर सारे सवालों का जवाब दे दे, बल्कि  रिवीजन भी कर ले। साकेत कुमार की रिपोर्ट
किसी प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ कोचिंग संस्थानों की भी भूमिका अहम होती है। समय के साथ आज कोचिंग संस्थानों की महत्ता और उनकी भूमिका में खासा बदलाव आया है। अब वो जमाना नहीं रहा, जब लोग अपने बच्चों को कोचिंग संस्थानों में भेजने में शरमाते थे। अभिभावकों को लगता था कि अगर मेरे बच्चे कोचिंग संस्थान में गए तो लोग समझेंगे कि वे पढ़ने में कमजोर हैं। कुछ ऐसा ही पहले के छात्र भी सोचते थे, लेकिन जैसे-जैसे प्रतियोगिता कठिन से और कठिन होती गई, लोगों को यह लगने लगा कि स्वाध्याय के साथ-साथ कोचिंग भी जरूरी है। सोच में आए इस बदलाव की वजह से अब छात्रों का कोचिंग जाना शर्म का विषय नहीं रहा। इसकी एक वजह यह भी रही कि समय के साथ-साथ कोचिंग संस्थान के छात्रों की सफलता का प्रतिशत बढ़ता गया।
आज बैंकिंग, मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि में सफलता के लिए छात्रों की कोचिंग संस्थानों पर बढ़ती निर्भरता यह साबित करती है कि किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के लिए उनके द्वारा दिये जाने वाले मार्गदर्शन की एक अहम भूमिका होती है। आज के दौर में प्रतिभा के साथ टाइम मैनेजमेंट भी महत्वपूर्ण हो गया है, जिसमें कोचिंग संस्थान निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वह छात्रों को इस तरह से तैयार करते हैं कि वे न सिर्फ समय के अंदर सारे सवालों का जवाब दे दें, बल्कि उसी समय के भीतर रिवीजन भी कर लें। इसके लिए प्रतिभा के साथ-साथ छात्रों का स्मार्ट, ट्रिकी और धर्यवान होना जरूरी होता है और ऐसी तमाम परिस्थितियों के लिए छात्रों को बेहतर तरीके से तैयार करते हैं कोचिंग संस्थान।

सिखाती है समय का सदुपयोग करना

छात्रों की सफलता के मद्देनजर पिछले दशक भर में कोचिंग संस्थानों की भूमिका में भी काफी बदलाव आया है। अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले ज्यादातर कोचिंग संस्थान छात्रों को परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ समय के सदुपयोग की भी ट्रेनिंग देते हैं, ताकि परीक्षा से पहले वे उसकी तैयारी पर फोकस करने के साथ-साथ सभी विषयों को समान समय दे सकें। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि छात्र उन विषयों को ही ज्यादा समय देते हैं, जिनमें उनकी रुचि होती है। इसका खामियाजा उन्हें परीक्षा परिणाम में कम अंक या खराब रैंकिंग के रूप में उठाना पड़ता है। यही वजह है कि विभिन्न विषयों और परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले ज्यादातर कोचिंग संस्थान छात्रों को परीक्षा के दौरान समय का सदुपयोग कैसे करें, इसका तरीका बताते हैं।
हम कमजोरियों पर रखते हैं नजर-कोचिंग संस्थानों का काम तय किये गये समय पर कोर्स को पूरा कराना भर नहीं होता, बल्कि पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों को उनकी कमजोरियों से रूबरू करा कर उन्हें दूर कराना भी होता है, ताकि वे समय रहते उन विषयों या उन क्षेत्रों को और मजबूत कर सकें, जिसका असर उनके परीक्षा परिणाम पर पड़ सकता है। छात्रों की कमजोरियों को दूर करने के लिए कोचिंग संस्थानों द्वारा समय-समय पर सेमिनार या वन टू वन सेशन का आयोजन भी किया जाता है। साथ ही सेगमेंट के आधार पर भी बच्चों को पढ़ाया जाता है। इस दौरान उन विषयों पर खास जोर दिया जाता है, जिनमें बच्चों की रुचि कम हो या वे कमजोर हों। उनके अभिभावकों से भी बात की जाती है, ताकि वे घर में बच्चों को ऐसा माहौल दे सकें, जिसमें वे पढ़ाई को एक बोझ की तरह न मानें।

संपूर्ण पैकेज

आज के समय में आपके बच्चे को एक ही समय में कई तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करनी पड़ती है। ऐसे में सभी विषयों पर बराबर ध्यान दे पाना थोड़ा मुश्किल होता है। यहीं से कोचिंग संस्थानों की भूमिका शुरू होती है। इलाइट केे डायरेक्टर श्री श्याम सुन्दर जी और श्री राघवेन्द्र जी का मानना है कि छात्रो को एक ही समय पर विभिन्न परीक्षाओं के लिए तैयार करने में कोचिंग संस्थानों की अहम भूमिका होती है। उनका कहना है कि छात्रों को आम तौर पर यह पता नहीं होता कि वे किस विषय को कितना समय दें, ऐसे में वे उन विषयों को नजरअंदाज करना शुरू कर देते हैं, जिनमें उनकी रुचि नहीं है या फिर कम है। लेकिन अगर वह किसी कोचिंग संस्थान से अपनी तैयारी कर रहे हैं तो उन्हें वहां शुरू से ही इस बात के लिए प्रेरित किया जाता है कि परीक्षा में सफलता के लिए वो सभी विषयों को समान रूप से समय दें। इसके लिए बाकायदा समय-समय पर क्लास टैस्ट और ग्रुप टेस्ट का आयोजन किया जाता है।

पैदा करते हैं परीक्षा का माहौल-

अक्‍सर देखा जाता है कि कई छात्र वैसे तो बहुत अच्छा करते हैं, लेकिन परीक्षा भवन में जाकर नर्वस हो जाते हैं और पेपर खराब कर वापस आ जाते हैं। ऐसे में अगर छात्रों को पहले से ही परीक्षा भवन की तरह का माहौल बना कर उसके तनाव से रूबरू करा दिया जाए तो वे परीक्षा हॉल में जाकर घबराते नहीं हैं और अपना ध्यान पेपर बेहतर करने पर लगाते हैं। इसलिए परीक्षा हॉल का भय निकालने के लिए कोचिंग संस्थान परीक्षा से पहले छात्रों के लिए क्लास टैस्ट और अन्य परीक्षाओं का आयोजन कराते हैं, ताकि उनके मन से परीक्षा का डर खत्म हो जाए। इसके लिए उन्हें बाकायदा एक सेमिनार हॉल में बिठाया जाता है, जहां उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं जैसा अनुभव हो सके। इससे छात्रों को उस माहौल से रूबरू होने में काफी मदद मिलती 

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