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मध्यकालीन भारत

मध्यकालीन भारत पार्ट-2 

विजयनगर साम्राज्य 
    दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य  स्थापना 1336 ई. में हरिहर एवं बुक्का ने की
     देवराय प्रथम के समय इटली का यात्री निकोलो कोंटि 1420 ई. विजयनगर आया
   इस साम्राज्य का  महान शासक कृष्णदेव रे एक कुसल योद्धा एवं विद्वमान था | उसके शासन  काल में पुर्तगाली यात्री डोमिगोस पायस आया था था | 
 बहमनी साम्राज्य (1347-1518)

   तुगलक के  शासनकाल में हंसन गुंग ने  साम्राज्य की स्थापना की उसकी राजधनी गुलबर्गा थी | 
   बहमनी शासक हुमायूँ को दक्कन का नीरो कहा जाता था  | 
  1565 ई. में  इन सभी राज्यों ने मिलकर तालीकोटा के युद्ध में विजय नगर साम्राज्य को नस्ट कर दिया | 
   बहमनी वंस का अंतिम सुल्तान कलिमुल्लाशाह (1527) था | 

मराठो का उत्कर्ष 

  मेरठ साम्राज्य के संथापक शिवाजी थे उनका जन्म 1627 ई.में शिवनेर दुर्ग में हुआ था | 
   शिवा जी के पिता का नाम शाहजी भोंसले तथा माता का नाम जीजाबाई था | उनके गुरु कोंडदेव थे  | 
  पुरन्दर की संधि (1665) में महाराज जयसिंह एवं शिवजी के मध्य हुयी | 
   शिवाजी को औरंगजेब ने 16 मई 1666 ई. में जयपुर भवन में कैद कर 
लिया | 
  शिवजी के मंत्रीमंडल को अष्टप्रधान कहा जाता था | अप्रैल 1680 ई. में शिवजी की मृत्यु हो गयी | 

मैसूर 
   हैदर अली के नेतृत्व में मैसूर शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा | 
   हैदर अली ने अपनी सेना को पश्चिमी सैन्य शक्ति दिया एवं अंग्रेजो को प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध (1767-1769 ई.) में पराजित किया | 
  द्दितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (1782) में हैदर अली के मृत्यु के बाद टीपू सुल्तान से उसका साथ दिया | 
  तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1789-92) में अंग्रेज , निजाम और मराठो ने मिलकर टीपू को हराया और उसे श्रीरंगपट्ट्नम  की संधि (1792 ) करनी  पड़ी |
 चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध (1799 ) में लार्ड वेलेजली ने टीपू की मृत्यु के बाद मैसूर पर कब्जा किया | 

मेवाड़ 
1448  में राणा कुम्भा ने चितौड़ में विजय स्तम्भ बनाया | 1517-18  में घटोली के युद्ध में राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराया  था |
खानवा का युद्ध 1527 में राणा सांगा एवं बाबर के बिच हुआजिसमें  बाबर विजयी हुआ  | 
हल्दीघाटी का युद्ध 1576 में राणा प्रताप एवं अकबर के बिच हुआ , जिसमे अकबर विजयी हुआ | 


मुग़ल साम्राज्य 

बाबर (1526-1530 )


बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 में फ़रगाना में हुआ था  |
 बाबर के पिता का नाम उमरशेख मिर्जा  फरगाना नामक छोटे राज्य के शासक थे |
बाबर के चार पुत्र - हुमायूँ कामरान असकरी तथा हिन्दाल था |
बाबर ने भारत पर बार आक्रमण किया
पानीपत  के प्रथम युद्ध में बाबर ने  पहली  बार तुलगमा युद्ध निति एवं तोपखाने का प्रयोग किया था 

वर्ष                                       युद्ध              पछ                              परिणाम

21 अप्रैल 1526 ई.         पानीपत का प्रथम युद्ध          इब्राहिम लोदी  एवं बाबर     बाबर विजयी

17 अप्रैल 1527 ई.          खानवा का युद्ध                       राणा साँगा एवं बाबर                   "

29 जनवरी 1528            चन्देरी का युद्ध                        मेदनी राय एवं बाबर                  "

6  मई 1529                    घाघरा का युद्ध                        अफगानो एवं बाबर                     "

  खानवा के युद्ध 1527  में बाबर ने राणासांगा को हरा कर गाजी की उपाधि धारण की 
  48 वर्ष की आयु में 26 दिसंबर 1530 ई को आगरा में बाबर ली मृत्यु हो गयी बाबर को मुबईयान नामक पद्य शैली का भी जन्मदाता मान जाता है  | 
 बाबर ने अपनी आत्मकथा तुर्की भाषा  में तुजुके बाबरी (बाबरनामा ) की रचना की जिसका अनुवाद बाद में फ़ारसी भासा में अब्दुल रहीम खानखाना ने किया 
 भारत में बाबर ने सड़को  के लिए गज-ए-बाबरी  का पयोग प्रारम्भ किया |  वी. ए. स्मिथ के अनुसार बाबर  अपने समय में एशिया का महान  सम्राट था 
 बाबर का  उत्तराधिकारी हुमायु हुआ 

हुमायूँ  (1530-1556 )




   हुमायूँ  का जन्म 6 मार्च 1508 ई. में काबुल में हुआ था |  30 दिसंबर 1530 ई को 23 वर्ष  की अवस्था में हुमायूँ  का राज्यविशेख हुआ 
  हुमायूँ  की माँ महिम बेगम शिया मत में विश्वास रखती थी 
  हुमायूँ  दर्शनशस्त्र, ज्योतिषशास्र्त, फलित तथा गणित का ज्ञात था 
 आगरा की गद्दी पर बैठने से पहले हुमायूँ  बदख्शाँ  का सूबेदार था 
  चौसा का युद्ध बक्सर के निकट 25 जून 1539   में शेर खां एवं हुमायूँ  के बिच हुआ | इस युद्ध में हुमायूँ पराजित हुआ जिसमे शेर खां ने आसानी एवं दिल्ली पर अधिकार कर लिया 
  चौसा का युद्ध 1539    में हुमायू और शेहशाह के बिच हुआ जिसमे शेरशाह विजयी हुआ 
  1 जनवरी 1565   को दिन पनाह भवन में स्थित पुस्तकालय के सीढ़ियों से गिरने के कारण हुमायूँ की मृत्यु हो गयी  
  हुमायूँ ने 1533  में दिल्ली  में दीनपनाह नामक भवन का निर्माण कराया  
  चितौड़ की राज माता कर्णावती ने हुमायूँ से सहायता के लिए राखी भेजी थी 


शेरशाह सूरी 



 सुर साम्राज्य  संस्थापक शेरशाह सूरी था | इनके पिता का नाम हसन खान जौनपुर राज्य के अंतर्गत सासाराम के जमींदार थे | 
शेरशाह का असली नाम फरीद था इनका जन्म 1472 ई  में बजवाड़ा (पंजाब) में हुआ था 
शेरशाह ने विहार के सुल्तान बाहर खां लोहानी की सेवा प्राप्त कर ली जिसने शेर से रच्छा करने के लिए फरीद खां  को शेर खां  की उपाधि  प्रदान की | 
शेरशाह ने पंजाब के हाकिम हैबत खां को मनसद ए आलम की उपाधि प्राप्त की | 
शेरशाह का मकबरा सासाराम में झील बिच ऊचें टीले निर्मित  किया गया है | 
शेरशाह ने भूमि की नाप के लिए (39 अंगुल या 32 इंच ) सिकंदरी गज एवं सन की डंडी का प्रयोग किया  
कबूलियत एवं पट्टा प्रथा की शुरुआत शेरशाह ने की थी | तथा डाक प्रथा का प्रचलन शेरशाह के द्वारा ही किया गया | 
शेरशाह के काल में  मलिक मुहम्मद जैसी ने पदमावत नामक ग्रंथ की रचना की | 
शेरशाह का उत्तराधिकारी इस्लामशाह  तथा मोहम्मद आदिलशाह था |

जहाँगीर 


जहाँगीर का जन्म जयपुर की राजकुमारी मरियम उज्जमानी से 30 अगस्त 1569   को हुआ था 
जहाँगीर के कल को चित्रकला का स्वर्णकाल कहा जाता है
जहाँगीर के दरबार में प्रमुख चित्रकार थे  -  अकारिजा, अबुल हसन , मुहम्मद मुराद, उस्ताद मंसूर, गोवर्धन इत्यादि 
जहांगीर के बचपन का नाम-सलीम था   जहांगीर की बेगम नूरजहां का वास्तविक नाम मेहरुन्निसां  था  | 
जहांगीर ने आगा रजा नेतृत्व में आगरा में एक चित्रशाला की स्थापना की
नूरजहां की मां अस्मत बेगमने ने  गुलाब से इत्र निकालने की विधि खोजी थी
 निसार नाम से जहांगीर ने सिक्के जारी करवाए 
जहांगीर ने  सोने की जंजीर को  न्याय का प्रतीक मानता था
 मुगल काल में सर टॉमस रो के नेतृत्व ने व्यापारिक अनुमति प्राप्त करने में सफलता पाई ?
जहांगीर की मृत्यु 1627 ई.में भीमवार  नामक स्थान पर हुयी | जिसका शव शहरदा (लाहौर) में रावी नदी के किनारे दफनाया गया
नूरजहां ने जहांगीर का मकबरे  निर्माण कराया











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