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Kushinagar कुशीनगर की पावन धरती पर पहुंचे इलाइट क्लासेज के छात्र, छात्राएं और साथ में उनके गुरु

 कुशीनगर की पावन धरती पर पहुंचे इलाइट क्लासेज के छात्र, छात्राएं और साथ में उनके गुरु-


आपको बता दें कि कुशीनगर भगवान बुद्ध की जन्मस्थली के रूप में विख्यात है। आज दिनांक 14/09/ 2019 को इलाइट परिवार के तरफ से छात्र एवं छात्राओं को भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में एक साथ घूमने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिसका श्रेय हमारे गुरुजन - श्री श्यामसुंदर सर, श्री राघवेंद्र सर, श्री अनिल सर और श्री श्रवण सर को जाता है। प्राचीन काल के 16 जनपदों में से एक कुशीनगर है जो अपने प्राचीन ,वैभवशाली, धर्म और शांति के लिए विश्व के धार्मिक मानचित्र पर विशिष्ट स्थान रखता है। 

 आइए करें सैर-


कुशीनगर की सीमा में प्रवेश करते ही भव्य प्रवेश द्वार आपका स्वागत करता है इसके बाद हम लोगों का निगाह महापरिनिर्वाण मंदिर की ओर पड़ती है जो दूर से ही अपने सुनारी आकर्षण के कारण सभी का मन मोह लिया।

 कुशीनगर में स्थापित  मंदिर-

1-  महापरिनिर्वाण मंदिर-   कुशीनगर का महत्व महापरिनिर्वाण मंदिर से है इस मंदिर में भगवान बुद्ध की लेटी हुई ( भू-स्पर्श ) लगभग 6 मीटर लंबी मूर्ति है यह मंदिर उसी स्थान पर बनाया गया है जहां से भगवान बुद्ध जी की मूर्ति निकाली गयी थी। मंदिर के पूर्व हिस्से में एक स्तूप है जहां भगवान बुद्ध जी का अंतिम संस्कार किया गया था इस मंदिर के आसपास कई भग्नावशेष और और खंडहर मौजूद है जो अशोककालीन बताए जाते हैं मंदिर के परिसर से लगा काफी बड़ा सा पार्क है जहां पर्यटकों का काफी जमावड़ा लगा रहता है।

2-  माथा कुवर मंदिर-  महापरिनिर्वाण मंदिर से कुछ दूर आगे चलने पर माथा कुंवर का मंदिर है। वहां स्थानीय लोग से पूछने पर पता चला कि यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार होने के कारण से प्रचलित है इस इस मूर्ति के भी लगभग 500 वर्ष पुराना होने का प्रमाण मिलता है माथा कुंवर की मूर्ति काले पत्थर से बनी है जिसकी ऊंचाई लगभग 3 मीटर है।

3-  रामाभार स्तूप -  भगवान बुद्ध के मृत्यु के बाद उनके हस्तियों और भस्म को 16 महाजनपदों में बांट दिया गया इन सभी स्थानों पर इस भस्म और अस्थियों के ऊपर स्तूप बनाए गए, कुशीनगर में मौजूद रामाभार का स्तूप इन्हीं में से एक है जो करीब 50 फुट ऊंचे इस स्तूप को बनाया गया है इस स्तूप को मुकुट बंधन बिहार के नाम से भी जाना जाता है।

4-  जापानी मंदिर-  महापरिनिर्वाण मंदिर के उत्तर में मौजूद एक जापानी मंदिर है जो अपनी विशिष्ट वास्तु के लिए प्रसिद्ध है। अर्द्धगोलाकार इस मंदिर में भगवान बुद्ध की अष्टधातु से बनी मूर्ति है। यह मंदिर सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर के चारों दिशाओं की तरफ बड़े बड़े गेट हैं इस मंदिर की देख रेख जापान की एक संस्था की ओर से की जाती है।

5- थाई मंदिर-  इस मंदिर का निर्माण थाईलैंड सरकार के द्वारा किया गया है। सफेद पत्थरों से बनी इस मंदिर के दो ताल है इस मंदिर में थाई शैली की भगवान बुद्ध की अष्टधातु की मूर्तियां है मंदिर का वास्तु थाईलैंड के मंदिरों जैसा ही है इस मंदिर के शीर्ष पर सोने की परत लगाई गई हैं परिसर के चारों तरफ भव्य बागवानी है जिसमें विशेष प्रकार के पौधे देखने को मिले।

6-  चीनी मंदिर-   इस मंदिर का निर्माण चीन सरकार द्वारा की गई है इस मंदिर के दीवारों पर जातक कथाओं से संबंधित पेंटिंग अत्यंत ही आकर्षक है।

7-  जल मंदिर और पैगोडा-   यह मंदिर बीच तालाब में बना भगवान बुद्ध का मंदिर है। जल मंदिर तक जाने के लिए तलाब के ऊपर पुल का निर्माण किया गया है इसमें कछुआ और बत्तख के साथ ही मछलियों का अठखेलियां करते देखना बहुत अच्छा लगा।

8-  बिरला मंदिर-  जल मंदिर के ठीक सामने भगवान शिव को समर्पित एक बिरला मंदिर मौजूद है दक्षिण भारतीय शैली में बनी इस मंदिर में भगवान शिव की ध्यान मुद्रा में सफेद संगमरमर की मूर्ति है।


 बौद्ध संग्रहालय-  जापानी मंदिर के ठीक सामने बहुत संग्रहालय है जिसमें बुद्ध कालीन वस्तुओं, धातुओं, खुदाई के दौरान पाई गई मूर्ति, सिक्के ,बर्तन इत्यादि रखे गए है। इसके साथ ही वहां पर मथुरा और गांधार शैली की भी दुर्लभ मूर्तियां देखने को मिली।

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