बेरोजगारी की समस्या
हमारे देश में प्रमुख समूह अनेक समस्याएं मुंह फैलाए खड़ी है इसमें से सर्वाधिक प्रमुख है बेरोजगारी की समस्या एक मोटे अनुमान से भारत में बेरोजगारों की संख्या करोड़ों में है पिछले 57 वर्षों में बेरोजगारों की एक फौजी देश में खड़ी हो गई है स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत लोगों को यह आशा थी कि देश में सबको रोजगार प्राप्त हो जाएगा किंतु यह संभव नहीं हो सका और तमाम प्रयासों के बावजूद स्थिति बद से बदतर होती गई यद्यपि निर्धनता गंदगी रोग अशिक्षा और बेकारी इन 5 राशियों ने संसार को विनाश की ओर प्रेरित किया है तथापि बेकारी इनमें सबसे भयानक है।
बेरोजगारी का अर्थ-
बेरोजगार उस व्यक्ति को कहा जाता है जो योग्यता रखने पर भी और कार्य की इच्छा रखते हुए भी रोजगार प्राप्त नहीं हो पाता शारीरिक तथा मानसिक रूप से सक्षम होते हुए भी जब योग्य व्यक्ति बेरोजगार रहता है तो उस स्थिति को बेरोजगार की संज्ञा दी जा सकती है बेरोजगारी को संभवत दो में बांटा जा सकता है स्थाई या अस्थाई कभी-कभी व्यक्ति जिस प्रकार की योग्यता रखता है उस प्रकार का काम उसे नहीं मिल पाता परिणाम तो वह किसी अन्य साधन से जीवन यापन करने में लगता है यह स्थिति भी आज बेरोजगारी की मानी जाती है कुछ उद्योग धंधे होते हैं तथा एक विशेष मौसम में ही वहां काम होता है उदाहरण के लिए चीनी उद्योग उद्योग मौसमी उद्योग है अतः यहां काम करने वाले श्रमिकों को साल में कुछ महीने बेकार रहना पड़ता है हड़ताल तालाबंदी जैसे कारणों से भी श्रमिकों को बेरोजगारी झेलनी पड़ती है ।
बेरोजगारी के दुष्परिणाम-
सबसे खराब एसडी तो वह है जब पढ़े-लिखे युवाओं को बेरोजगार नहीं मिलता शिक्षित युवाओं को रोजगार ई देश के लिए सर्वाधिक चिंतनीय है क्योंकि ऐसे युवक जिस तनाव और अवसाद से गुजरते हैं उससे उनकी आंसर टूट जाती है और वह गुमराह होकर उग्रवादी आतंकवादी तक बन जाते हैं कश्मीर और असम के आतंकवादी संगठनों में कार्यरत उग्रवादी में अधिकांश इसी प्रकार के शिक्षित रोजगार सेवक हैं बेरोजगारी देश की आर्थिक स्थिति को डामाडोल कर देती है इससे राष्ट्रीय आय में कमी आती है उत्पादन घट जाता है और समाज में राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो जाती है बेरोजगारी जाती है गिर जाता है इसका दुष्प्रभाव एवं बच्चों पर पड़ता है मानसिक तनाव को जन्म देती है जिसमें सरकार एवं समाज के भाव जागृत होते हैं
बेरोजगारी के कारण
भारत में बढ़ती हुई इस बेरोजगारी के प्रमुख कारण में एक है तेजी से बढ़ती जनसंख्या पिछले चार दशकों में देश की जनसंख्या लगभग 3 गुनी हो गई सन 20011 की गणना के अनुसार भारत की आबादी लगभग दो करोड़ के आसपास हो गई है यद्यपि सरकार ने विभिन्न योजनाओं के द्वारा रोजगार क्यों अनेकानेक और सुलभ कराएं तथा पर जिस अनुपात में जनसंख्या वृद्धि हुई है उस अनुपात में रोजगार के अवसर सुलभ करा पाना संभव नहीं हो सका परिणाम बेरोजगारों की फौज बढ़ती गई प्रतिवर्ष लाखों लोगों कि बेरोजगारी के कारण अपनी जान गवा बैठे हैं बढ़ती हुई बेरोजगारी से प्रत्येक बुद्धि संपन्न व्यक्ति चिंतित है हमारी शिक्षा पद्धति में काफी गिरावट आई है कालेज विश्वविद्यालयों में लाखों स्नातक प्रतिवर्ष निकलते हैं किंतु उनमें से कुछ बेरोजगार करते हैं उनकी सहायता नहीं कर पाती है।
बेरोजगारी दूर करने के उपाय-
भारत एक विकासशील राष्ट्र है किंतु आर्थिक संकट से घिरा हुआ है इसके पास इतनी क्षमता भी नहीं है कि वह अपने संसाधनों से प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार सुलभ करा सके ऐसी स्थिति में ना तो यह कल्पना की जा सकती है कि वह प्रत्येक व्यक्ति को रोजगारी भत्ता दे सकता है और ना ही यह संभव है कि किंतु सरकार का यह कर्तव्य अवश्य है कि बेरोजगारों को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए यादव रोजगारी की समस्या भारत में सूर्य और मुख्य की तरह बढ़ती जा रही है फिर भी यह समस्या का निदान हो तो होता ही है यदि जनता और सरकार मिलकर इस दिशा में प्रयत्न करें तो क्या कुछ नहीं किया जा सकता हारी से आवश्यक को इस संदर्भ में सुझाव अवश्य दिए जा सकते हैं
जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण-
भारत में वर्तमान में जनसंख्या वृद्धि दूध सुनो एक परसेंट वार्षिक है जिसे रोकना अत्यावश्यक है अब हम दो हमारे दो का योग भी बीत चुका है अब तो एकदम पर एक संतान का नारा ही संपूर्ण होगा इसके लिए यदि सरकार को पढ़ाई भी करनी पड़े तो वोट बैंक की चिंता किए बिना उसे इससे और शक्ति करनी होगी या ठोस कठोरता भले ही किसी प्रकार की हो
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